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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 3 

दिन भर की भागमभाग और पर्स चोरी होने की घटना से अनुपमा परेशान हो गई थी । कामवाली बाई भी नहीं आई थी । उसने उसे फोन भी किया पर उसने उठाया ही नहीं । "ये कामवाली बाई भी कितनी मतलबी होती हैं ना ? ना तो पहले कहकर जायेंगी कि अगले दिन नहीं आयेगी, ना ही घर से फोन करके बतायेंगी और जब उन्हें फोन करो तो उठायेंगी भी नहीं । किसी महारानी की तरह से व्यवहार करती हैं ये । और जब इनको कोई फेवर चाहिए होता है तो ये कैसे 'मैडम मैडम' करती हुई आगे पीछे डोलती हैं कि उनकी बात माननी ही पड़ती है । और अब फोन भी नहीं उठाया महारानी जी ने । कल आने पर खबर लूंगी उसकी" । 

कामवाली बाई को मन ही मन खूब सारी गालियां निकालती हुई अनुपमा घर का काम करने लगी । काम करने की आदत तो रही नहीं इसलिए वह थोड़े से काम में ही पसीना पसीना हो गई । पसीने के कारण उसका बदन चिपचिपा सा हो रहा था । उसने शॉवर लेना ठीक समझा । वह बाथरूम में नहाने चली गई । वह शॉवर ले ही रही थी का डोर बैल बजने की आवाज आई । 
"इस वक्त कौन आ मरा" ? उसके होंठ बुदबुदाये । वह तो नहा रही थी , दरवाजा कैसे खोलती ? इतने में डोर बैल फिर से बज गई । नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया था । 
"कौन हो सकता है इस वक्त ? सक्षम का तो अभी टाइम हुआ नहीं है आने का । फिर कौन हो सकता है" ? उसने अपने दिमाग पर जोर डाला मगर उसे कुछ याद नहीं आया । इतने में डोरबैल फिर बज गई । अनुपमा का नहाना दूभर हो गया था । कभी कभी तो ये डोरबैल भी कितनी परेशान करती है ? जी कर रहा था कि डोरबैल का टेंटुआ भींच दे । मगर वह तो बाथरूम में है, कैसे भींचे ? बेशर्म डोरबैल लगातार बज रही थी । तंग आकर वह जल्दी से टॉवल लपेटकर बाहर आई और थोड़ा सा गेट खोलकर अपना सिर बाहर निकाला और जोर से चीखी "कौन है" ? 
अचानक थानेदार मंगल सिंह सामने प्रकट हुआ और बोला "हम हैं" । 

मंगल सिंह को देखकर वह वहीं जड़वत हो गई । मानो उसने कोई भूत देख लिया हो । उसके मुंह से शब्द नहीं निकले । शब्द अड़ियल घोड़े की तरह उसके मुंह में ही अड़ गये थे जैसे वे बाहर आना ही नहीं चाहते थे । आंखें पलक झपकाना भूल गई थीं । उसे स्तब्ध हुआ देखकर मंगल सिंह बोला 
"हमें अंदर आने को नहीं कहेंगी क्या मैडम" ? बेशर्मी का प्रदर्शन करने लगा वह । 

मंगल सिंह को अपने घर के दरवाजे पर देखकर अनुपमा को बड़ा आश्चर्य हुआ था । वह यहां क्यों आया है ? "ये इतना लंपट है क्या कि उसका पीछा करता हुआ यहां तक आ गया है ? धूर्त कहीं का" ! उसने मन ही मन सोचा । 
"मैडम सोच क्या रही हो ? पुलिस वालों को बाहर खड़े रहने की आदत नहीं होती है । अब आप हमें अंदर बुला रही हैं या हम जबरन अंदर आ जायें" ? मंगल सिंह धूर्तता पर उतर आया था । 

अनुपमा को याद आया कि उसने केवल टॉवल लपेटा है, इस हालत में मंगल सिंह अंदर कैसे आ सकता है ? वह यहां आया ही किसलिए है यह तो पता चलना चाहिए ना ? उसने कहा 
"आप यहां किसलिए आए हैं ? 
अनुपमा की बात पर मंगल सिंह जोर से हंसा और बोला "थाने में रपट लिखवाने आप चलकर खुद आईं थी मैडम, पुलिस ने खुद एफ आई आर दर्ज नहीं की थी । जब एफ आई आर लिखवाई है तो पुलिस जांच भी तो करेगी ना ? उसी सिलसिले में मैं जांच करने आया हूं । अब सारी जांच यहां बाहर खड़े खड़े ही करूंगा क्या" ? मंगल सिंह नाराज हो गया था । 

"मेरे पति यहां नहीं हैं , आप बाद में आना" जैसे तैसे करके वह उसे टालना चाहती थी । 
"पुलिस के पास इतना टाइम नहीं होता है जो बार बार आपके घर आये । मैं थानेदार हूं कोई ठुल्ला नहीं, समझीं । यदि आप जांच कराना नहीं चाहती हैं तो ठीक है, मैं एफ आर लगा देता हूं" थानेदार मंगल सिंह तुनक गया था । 

अनुपमा के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था । इसको तो अंदर बुलवाना ही पड़ेगा । लेकिन पहले वह कपड़े तो पहन ले । उसने मंगल सिंह से कहा
 "ठीक है, आप थोड़ी देर इंतजार कीजिए मैं अभी आती हूं" । वह तैयार होने चली गई । 
उसने आराम से अपने कपड़े पहने फिर उसने दरवाजा खोल दिया । 
"शुक्र है कि आपने अंदर तो बुलाया नहीं तो मुझे लग रहा था कि आज तो बाहर खड़े खड़े ही जांच करनी पड़ेगी । तो अब जांच शुरू करें" ? मंगल सिंह अनुपमा की आंखों में झांककर बोला । चूंकि अनुपमा अभी नहाकर आई थी इसलिए उसका चेहरा ताजा गुलाब की तरह खिला हुआ था । मंगल सिंह उसके बदन की खुशबू से महक गया था । 
"जांच में मुझे क्या करना होगा" ? अनुपमा ने बेमन से पूछा 
"मेरे सवालों के जवाब देने होंगे, मौका दिखाना होगा और क्या" ? खुश होते हुए मंगल सिंह बोला 
"कैसे सवाल और कैसे जवाब" ? 
"अभी बताते हैं । पर पहले मौका दिखाओ । मतलब कि पर्स कहां रखा था ? बाहर से अंदर आने के कौन कौन से रास्ते हैं आदि आदि" ? 

अनुपमा ने उसे अपना घर दिखा दिया । घर के अंदर घुसने का केवल एक ही दरवाजा था । लिविंग रूम की खिड़की एल्युमीनियम की बनी हुई थी जिसे खोलकर घर के अंदर जाया जा सकता था । उसे देखकर थानेदार बोला "चोर संभवत: इस खिड़की से आया होगा और इसी से ही निकल गया होगा ? इसमें लोहे की ग्रिल लगवा लीजिए जिससे फिर कभी ऐसी घटना नहीं हो पाए" । वह बातचीत करता हुआ ड्राइंग रूम में आ गया और सवाल पूछने लगा 
"कौन कौन रहता है इस मकान में" ? 
"मैं और मेरे पति सक्षम" 
"ऊपर भी कोई रहता है क्या" ? 
"हां, एक किरायेदार है अक्षत , वह रहता है" 
"ऊपर से सीढियां भी तो आपके लिविंग रूम के पास गैलेरी तक आती हैं । चोर छत से भी आ सकता है । आपके पति नजर नहीं आ रहे हैं मैम, कहीं गये हैं क्या" ? 
"हां, वे अभी ऑफिस में हैं, थोड़ी देर में आयेंगे" 
"कहीं आपका पर्स आपके पति ने तो नहीं चुराया है" ? मंगल सिंह ने बम फोड़ दिया । 

इसे सुनकर अनुपमा हतप्रभ रह गई । "ये क्या बकवास है ? वे ऐसा क्यों करेंगे" ? गुस्से से उबल पड़ी थी अनुपमा । 
"गुस्सा नहीं करने का मैडम । गुस्सा करना बहुत खराब होता है । जरा ठंडे दिमाग से सोचकर देखो मैम कि ऐसा हो सकता है या नहीं ? उस पर्स में तुम्हारा मोबाइल था कि नहीं ? क्या पता उसमें तुम्हारा कोई राज छुपा हुआ हो जिसे देखने के लिए तुम्हारे पति ने वह पर्स चुरा लिया हो" ? मंगल सिंह ने शंका जाहिर की । 

अनुपमा सन्न रह गई । यह तो उसने सोचा ही नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है । क्या सक्षम ऐसा करेगा ? लगता तो नहीं है कि वह ऐसा कुछ करेगा । ऐसा तो कोई राज है नहीं उस मोबाइल में । फिर वह ऐसा क्यों करेगा" ? वह सोचने लगी । 
"कामवाली बाई भी आती होगी ना ? क्या पता उसने चुराया हो वह पर्स" ? 
"वह ऐसी नहीं है उसने आज तक कभी कोई चोरी नहीं की" । अनुपमा ने उसे सर्टिफिकेट दे दिया था । 
"किसी पर इतना विश्वास भी ठीक नहीं है मैडम । आजकल तो अपनों पर भी विश्वास नहीं होता है, गैरों की तो बात ही क्या है" ? 

बात तो सही कह रहा था मंगल सिंह । किसी पर अति विश्वास करना भी ठीक नहीं है । उसने तो घर की एक चाबी कामवाली बाई को दे रखी है । वह अपने काम के सिलसिले में घर के बाहर अक्सर रहती है । सक्षम भी ऑफिस चले जाते हैं तो पीछे से कामवाली बाई आकर घर और बर्तन साफ कर जाती है । पर वह चोरी क्यों करेगी" ? अनुपमा सोचने लगी । 
"क्या वह शादीशुदा है" ? 
"हां, उसका पति किसी कंपनी में गार्ड का काम करता है" । 
"ठीक है, अभी मैं जाता हूं पर दुबारा आ सकता हूं । विण्डो में ग्रिल जरूर लगवा लेना मैम जिससे भविष्य में कोई घटना न घटे" । थानेदार मंगल सिंह चला गया । 

अनुपमा को थानेदार लंपट जरूर लगा था पर उसकी बातें एकदम सही थीं । आजकल किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता है । यद्यपि कामवाली बाई कान्ता बहुत दिनों से उसके पास काम कर रही है और उसने शिकायत का कोई अवसर भी नहीं दिया इसलिए उस पर विश्वास जम गया था उसका । वह तो कभी कभार "गोता" लगा जाती है और फोन तक नहीं उठाती है , बस इससे परेशानी है । बाकी तो सब ठीक है उसका" । उसका दिल कह रहा था कि कान्ता ने तो चोरी नहीं की होगी । फिर किसने की है चोरी ? सक्षम के बारे में तो वह सोच भी नहीं सकती है । तो कौन हो सकता है चोर ? क्या अक्षत ने की होगी चोरी ? वह क्यों करेगा चोरी ? फिर कोई बाहर का आदमी ही रहा होगा जिसने चोरी की है । मंगल सिंह सही कह रहा था कि विण्डो में ग्रिल लगवा लेनी चाहिए । सक्षम से कह कर ये काम तो जल्दी ही करना होगा । 

(चोरों का कोई सुराग लग पायेगा या नहीं ? जानने के लिए अगला अंक अवश्य पढें" ) 

श्री हरि 
3.6.2023 

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8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:19 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:36 AM

🙏🙏🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:36 AM

🙏🙏

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Varsha_Upadhyay

04-Jun-2023 07:21 AM

शानदार भाग

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Jun-2023 10:24 AM

💐💐🙏🙏

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